Saturday, August 8, 2009

शील भद्र याजी


वह वोलता तो बड़े बड़े की बोलती बंद हो जाती थी । आजादी के दीवानों में कुछ एक ही ऐसे लोग थे जिनको गाँधी जी ओर सुभाष चंद्र बोस दोनों का सानिध्य प्राप्त था । जब उनका दिल करता तो गाँधी जी से गाँधी वाद सीख लेते जब दिल में आता तो सुभाष के साथ मिलकर अंग्रेजो से लोहा लेने लगते । चाहे आहिंसा के पुजारी ,चाहे गरम दल के लोग दोनों ही दल के लोग याजी को अपना नेता मानते थे । याजी भी फक्कर मसीहा थे जब दिल में आया गरम दल में ,जब दिल में आया नरम दल में । मगर हर हाल में अंग्रेजो को बाहर भगाने के लिए तत्पर । अपनी पूरी जिन्दगी उन्होंने समाज सेवा में लगा दिया , जब तक वो जीवित रहे लड़ते रहे समाज सुधारमें लगे रहे , जीवन के आखरी दिनों में भी वो लड़ते रहे :- चाहे बात किसानो की हो , चाहे बात मजदूरों की हो , चाहे गरीबों के हक़ की बात हो , उन्होंने अपना पूरा जीवन देश पर न्योछावर कर दिया
देश के इस सच्चे सपूत को एक भीनी श्रधान्जली :-------------
महान नायक को सलाम :----- जय हिंद

1 comment:

  1. शीलभद्र याजी फॉरवर्ड ब्लॉक के संस्थापक सदस्यों में से थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा, लगन और क्रांतिकारिता से बिहार ही नहीं देश को चमत्कृत कर दिया। यह बताते हुए गर्व होता है कि मैं याजी जी के गांव का रहने वाला हूं। मोकामा न सिर्फ एक जगह का नाम है बल्कि पटना से लेकर बेगूसराय और मुंगेर तक की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत का प्रतिनिधित्व भी करता है। लेकिन, घोर अफसोस होता है जब मोकामा को बिहार की आपराधिक राजधानी कहा जाता है। प्रफुल्ल चाकी, दिनकर और शीलभद्र याजी की क्रांतिकारी विरासत को संजोने के काम में हाथ बटाने के लिए इस ब्लॉग के कर्ता-धर्ता बासुकी नाथ बधाई के पात्र हैं। एक पाठक के तौर पर जो भी बन पड़ेगा, हम मदद को तत्पर हैं। शुक्रिया...पुरुषोत्तम नवीन...दिल्ली... 09871960072

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