Saturday, November 3, 2012

राम सागर सिंह!

राम सागर सिंह:-आपका जन्म बिहार की पावन धरती  मोकामा सकरवार टोला में हुआ.आप बचपन से ही पढाई  और खेल में चतुर थे. आप अपने मेहनत के दम पर आम से खास हो गए.विट्ठल माल्या की अपने देख रेख में बनवाई गई   मेक्दोवेल मोकामा में आप जेनेरल मेनेजर रहे.दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शराब कंपनी यु.वी ग्रुप में आप Asst. Vice President के रूप मैं रिटायर हुए. व्यस्त कार्यशेली के वावजूद आप हर समय समाज सेवा से जुड़े रहते है .आपने रोटरी क्लब मोकामा के प्रेसिडेंट के पद पर रहते हुए अनेक सामजिक कार्य किये है.समाज के गरीब तबको की भलाई  और गरीब बच्चों की  पढाई के लिए आपने अनेकों काम किये .वृक्षारोपण कार्यकर्म के तहत रोटरी क्लब के सहयोग से मोकामा एरिया में बहुत सारे पेड़ लगवाए आप वर्तमान में Yuksom Breweries Limited, Sikkim में फैक्ट्री मेनेजर के पद पर कार्यरत है.मोकामा से  आपका लगाव माँ और बच्चे की तरह है .जब भी मोकामा  में होते है सदा बच्चों और नौजवानों का मनोबल बढ़ाते रहते है .आपके इसी गुणों के कारन आपको  कॉलेज ऑफ कॉमर्स पटना ने अपने टॉप २५ अल्लुम्नी लिस्ट में रखा है जिसे इस लिंक पर चटका लगा कर देखा जा सकता है




उम्मीद की कभी हार नहीं होती.!

नाजरथ बंद,सुता मिल बंद,भारत बेंगन मृतप्राय ,सरकारी विद्यालय की शिक्षा लुप्त,बाज़ार की इस्थ्ती बुरी,सामाजिक संरचना टूटता हुआ,खेती चौपट ,बिजली सकद की हालत बुरी,पानी की गंभीर समस्या ,मयखाने  की बढती संख्या ,बंद होता स्कूल ,रोजगार बंद,सिसकता सिनेमा हाल ,बीमार अस्पताल .आज सारी परिस्थति मोकामा की विपरीत हो चली है .ठीकेदार बन जाते है सड़के नहीं बनती. कुंए खुद जाते है पानी नहीं निकलता .फसले बर्बाद हो जाती है खाद नहीं मिलता, लोग मर जाते है डॉक्टर तो दूर अस्पताल तक नहीं मिलता .कौन जिम्मेदार  सरकार ,विधयक ,सांसद ,अपराधी, सरकारी कर्मचारी ,…..आप या हम..?
आज मोकामा की इन बुरी परस्थितियों के लिए हम भी कम जिम्मेदार नहीं .हम भी कुछ नहीं करते है .माना की की हमें अच्छे विधयक,सांसद ,सरकार नहीं मिली है .हमारे साथ भेद भाव होता है .मगर क्या  हमने कुछ किया है .क्या समय  नहीं आ गया की हम दिखा  देन उन लोगों को की हम अपने दम पर भी कुछ कर सकते है .आज मुट्ठी भर ही सही पर आप लोगों में वो जज्बात ,वो मोकामा प्रेम देख कर लगता है की आप सब भी अपनी मिटटी को सुगन्धित बनाना चाहते है.हमें अपनी शक्ति पहचाननी होगी.बहार बनके छाना होगा,भौरा बनके गुनगुनाना होगा,दर्द को सहलाना होगा ,बात को फैलाना होगा,जंग जीत जाना होगा ,प्यार से मुस्कराना होगा, तभी मौसम  मोकामा का सुहाना होगा.
अगर किसी को लगता है की आप
प्रभाव उत्पन्न करने के लिए बहुत
छोटे है
तो कमरे में एक मच्छर के साथ
सोने की कोशिश कर के देखें
इसलिए मोकामा के लोगों खासकर  युवाओं  से में आवाहन करता हूँ. की आप लोग जंहा है जो भी काम कर रहे है  वही उसी काम अं अपना सर्वश्रेठ दें और मोकामा को गौरवान्वित करें.आपने अपने हिस्से का दिया तो जलाओ मेरे भाई फिर देखना मोकामा इस संसार  का सबसे बेहतरीन जगह बनके उभरेगा .आज नहीं तो कल हमारी मेहनत रंग लाएगी.बिना बाजु,बिना चपुओं के ही हम नाव चला सकते है ,हम वीराने में भी फूल खिला सकते है,पतथर के सिने पर हम गेंहू उगा सकते है. अपनी ताकत को हम कम न समझे हममे ब्रह्माण्ड हिलाने की क्षमता है ,अगर हम सब मिलकर साथ चले  तो क्या नहीं हो सकता.
दुनिया न जीत पाओ  तो हारो न अपने आप से
थोरी बहुत तो जेहन में नाराजगी रहे
गुजरे जो बाग से ,तो दुआ मांगते चलो
जिसमे लगे है फूल वो डाली हरी रहे .
उम्मीद की कभी हार नहीं होती.
जय परशुराम जय मोकामा …
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