Saturday, November 3, 2012

राम सागर सिंह!

राम सागर सिंह:-आपका जन्म बिहार की पावन धरती  मोकामा सकरवार टोला में हुआ.आप बचपन से ही पढाई  और खेल में चतुर थे. आप अपने मेहनत के दम पर आम से खास हो गए.विट्ठल माल्या की अपने देख रेख में बनवाई गई   मेक्दोवेल मोकामा में आप जेनेरल मेनेजर रहे.दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शराब कंपनी यु.वी ग्रुप में आप Asst. Vice President के रूप मैं रिटायर हुए. व्यस्त कार्यशेली के वावजूद आप हर समय समाज सेवा से जुड़े रहते है .आपने रोटरी क्लब मोकामा के प्रेसिडेंट के पद पर रहते हुए अनेक सामजिक कार्य किये है.समाज के गरीब तबको की भलाई  और गरीब बच्चों की  पढाई के लिए आपने अनेकों काम किये .वृक्षारोपण कार्यकर्म के तहत रोटरी क्लब के सहयोग से मोकामा एरिया में बहुत सारे पेड़ लगवाए आप वर्तमान में Yuksom Breweries Limited, Sikkim में फैक्ट्री मेनेजर के पद पर कार्यरत है.मोकामा से  आपका लगाव माँ और बच्चे की तरह है .जब भी मोकामा  में होते है सदा बच्चों और नौजवानों का मनोबल बढ़ाते रहते है .आपके इसी गुणों के कारन आपको  कॉलेज ऑफ कॉमर्स पटना ने अपने टॉप २५ अल्लुम्नी लिस्ट में रखा है जिसे इस लिंक पर चटका लगा कर देखा जा सकता है




उम्मीद की कभी हार नहीं होती.!

नाजरथ बंद,सुता मिल बंद,भारत बेंगन मृतप्राय ,सरकारी विद्यालय की शिक्षा लुप्त,बाज़ार की इस्थ्ती बुरी,सामाजिक संरचना टूटता हुआ,खेती चौपट ,बिजली सकद की हालत बुरी,पानी की गंभीर समस्या ,मयखाने  की बढती संख्या ,बंद होता स्कूल ,रोजगार बंद,सिसकता सिनेमा हाल ,बीमार अस्पताल .आज सारी परिस्थति मोकामा की विपरीत हो चली है .ठीकेदार बन जाते है सड़के नहीं बनती. कुंए खुद जाते है पानी नहीं निकलता .फसले बर्बाद हो जाती है खाद नहीं मिलता, लोग मर जाते है डॉक्टर तो दूर अस्पताल तक नहीं मिलता .कौन जिम्मेदार  सरकार ,विधयक ,सांसद ,अपराधी, सरकारी कर्मचारी ,…..आप या हम..?
आज मोकामा की इन बुरी परस्थितियों के लिए हम भी कम जिम्मेदार नहीं .हम भी कुछ नहीं करते है .माना की की हमें अच्छे विधयक,सांसद ,सरकार नहीं मिली है .हमारे साथ भेद भाव होता है .मगर क्या  हमने कुछ किया है .क्या समय  नहीं आ गया की हम दिखा  देन उन लोगों को की हम अपने दम पर भी कुछ कर सकते है .आज मुट्ठी भर ही सही पर आप लोगों में वो जज्बात ,वो मोकामा प्रेम देख कर लगता है की आप सब भी अपनी मिटटी को सुगन्धित बनाना चाहते है.हमें अपनी शक्ति पहचाननी होगी.बहार बनके छाना होगा,भौरा बनके गुनगुनाना होगा,दर्द को सहलाना होगा ,बात को फैलाना होगा,जंग जीत जाना होगा ,प्यार से मुस्कराना होगा, तभी मौसम  मोकामा का सुहाना होगा.
अगर किसी को लगता है की आप
प्रभाव उत्पन्न करने के लिए बहुत
छोटे है
तो कमरे में एक मच्छर के साथ
सोने की कोशिश कर के देखें
इसलिए मोकामा के लोगों खासकर  युवाओं  से में आवाहन करता हूँ. की आप लोग जंहा है जो भी काम कर रहे है  वही उसी काम अं अपना सर्वश्रेठ दें और मोकामा को गौरवान्वित करें.आपने अपने हिस्से का दिया तो जलाओ मेरे भाई फिर देखना मोकामा इस संसार  का सबसे बेहतरीन जगह बनके उभरेगा .आज नहीं तो कल हमारी मेहनत रंग लाएगी.बिना बाजु,बिना चपुओं के ही हम नाव चला सकते है ,हम वीराने में भी फूल खिला सकते है,पतथर के सिने पर हम गेंहू उगा सकते है. अपनी ताकत को हम कम न समझे हममे ब्रह्माण्ड हिलाने की क्षमता है ,अगर हम सब मिलकर साथ चले  तो क्या नहीं हो सकता.
दुनिया न जीत पाओ  तो हारो न अपने आप से
थोरी बहुत तो जेहन में नाराजगी रहे
गुजरे जो बाग से ,तो दुआ मांगते चलो
जिसमे लगे है फूल वो डाली हरी रहे .
उम्मीद की कभी हार नहीं होती.
जय परशुराम जय मोकामा …

Friday, June 17, 2011

मोकामा :- धार्मिक स्थान (२)

मोकामा :- धार्मिक स्थान (२)
कल मैंने चर्चा की थी मोकामा के प्रसिद्ध  परशुराम  स्थान और  विषहरी स्थान की .आज भी इसी चर्चा को जारी रखते हुए .कुछ और धार्मिक संस्थानों की बात करते है ...
३.दुर्गा स्थान :- सकरवार टोला के केंद मैं स्थित माता दुर्गा का विशाल मंदिर शक्ति और भक्ति से भरपूर है, वैसे तो  नवरात्री में मोकामा में १५-२० दुर्गा प्रतिमा बिठाया जाता है .पर इस दुर्गा स्थान को सबसे पहला स्थान जाता  है .लोग बताते है की बहुत साल पहले एक महिला ने जब नवरात्री के समय दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण हो रहा था तो वो छुप कर प्रतिमा देखने लगी .तो माँ दुर्गा ने उसे साक्षत निगल लिया था .लोग जब उस महिला को ढूंढ़  रहे थे तो वो कंही नहीं मिली पर अगले दिन जब प्रतिमा बनाने वाले कारीगर प्रतिमा बनाने आये तो दुर्गा की प्रतिमा के मुंह में उस महिला का वस्त्र मिला तब जाकर लोगों को इस बात की जानकारी हुई   मैंने बहुत जगह सुना है की फलां मंदिर के ट्रस्ट से स्कूल और हॉस्पिटल चल रहा है .पर इस माता के मदिर परिसर   में ही बच्चो के लिए स्कूल है .मगर मोकामा वासी की उदासीनता और सरकार की लापरवाही के कारन ये स्कूल लगभग मृतप्राय है .नवरात्री के दिन यंहा जबरदस्त मेला लगता है .सामाजिक लोग यंहा नाटक का मंचन भी करते है .जिससे मोकामा वासी का कुछ मनोरंजन हो जाता है.दुर्गा स्थान के ही मतदान केंद को कभी बी.बी.सी के कुर्बान अली जैसे धाकर संवाददाता ने भारत का सबसे संवेदनशील मतदान केंद कहा था .आज ये दुर्गा स्थान अपने भव्यता के कारन कम , अपराध और राजनीति के कारन ज्यादा जाना जाता है .मगर आज भी जो दिल से नवरात्री  के समय  माँगा  जाये माँ  दुर्गा वो जरुर पूरा  करती है ..
४.महादेव स्थान :- भगवान शंकर का मंदिर महादेव स्थान मोकामा के दो टोलों के ठीक बिच में है .जी हाँ मोकामा के सकरवार और मोलदियार टोला का बोर्डर है . रामायण काल में  जब राम भगवान अपने गुरुदेव के साथ माता सीता के स्वयम्बर में जा रहे थे तो इसी महादेव स्थान में उन्होंने विश्राम किया था राम ने  महादेव की पूजा आराधना की थी .भगवान राम ने जब भी महादेव की पूजा की भगवान शंकर ने उनकी इच्छा पूरी की . भगवान राम ने मोकामा में महादेव की पूजा की थी और मंदिर में विश्राम किया था तब से ही इस जगह को मोकामा कहा जाने लगा ..एक जगह और भी जब भगवान राम ने महादेव को इसी रूप में पूजा था तो वंहा का नाम रामेश्वरम पड़ा .बड़ी पवित्र जगह है महादेव स्थान . एक समय में महादेव स्थान मोकामा का सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र था .कलकत्ता ,बनारस ,बम्बई ,पटना आदि से लोग यंहा व्यापार करने आते थे . यंही पर गौरी माता का भी मंदिर है .कुमारी कन्यायें यंहा दोनों मंदिर में अपने लिए अछे पति की प्रार्थना करती है .और महादेव और माता गौरी की कृपा से उन्हें अपना मन पसंद जीवन साथी मिलता है .
जारी है ......................

Thursday, June 16, 2011

मोकामा के धार्मिक स्थान

मोकामा :- चलिए आज हम लोग मोकामा के कुछ धार्मिक स्थान के बारे में जाने.
१.परशुराम स्थान :- मोकामा के पूरब और पश्चिम दोनों छोर पर बाबा परशुराम का बड़ा ही प्यारा रमणीक मंदिर है .कहते है की यही बाबा परशुराम ने एक मरी हुई गाय को पुनह  जिन्दा कर दिया था .तब से ही बाबा परशुराम मोकामा के कुल देवता हो गए .लोगो की इस मंदिर में बड़ी श्रधा है .हरयाली से भरपूर स्वछ वातावरण ,एक कुआ है जिसका जल अमृत के सामान मीठा और स्वछ है .लोग यंहा पर अपने बच्चो का मुंडन ,ज्नेव और शादी भी करवाते है .बड़ी मान्यता है इस मंदिर की .जो लोग बाबा परशुराम से  दिल से मांगते है वो कभी यंहा से खाली  हाथ  नहीं लौटे है .जो लोग  गाय  पलते है .अपने गाय का पहला दूध बाबा परशुराम के चरणों में अर्पण करते है .तब  जाकर गाय के दूध को खाते  या बेचते है .मोकामा के लोग बाबा परशुराम को अपना पूर्वज (वंशज ) मानते है .शायद तभी मोकामा के लोग गुस्से वाले ,बातों बातों में जान ले और दे देते है .मगर धर्म में भी गहरी आस्था रखते है ...परशुराम की तरह विद्वान भी बहुत होते है यंहा के लोगों की विद्वता और चुस्ती फुर्ती के चर्चे चारो और है .बाबा के मदिर में यग्य का बड़ा महत्त्व है .कुछ सालों से यग्य बंद था पर सामाजिक प्रयास से ये पुनह हो रहा है .
२.भगवती स्थान (विषहरी स्थान ):- गंगा किनारे माता भगवती का मंदिर शक्ति  के लिए जाना जाता है .इस मंदिर में आस्था रखने वाले लोग बताते है की उन्होंने यंहा मुर्दे को जीते देखा है .यंहा माँ भगवती विषहरी रूप में विराजती है .बीमार ,लाचार ,अपंग  लोग यंहा अपने स्वस्थ की कामना करते है माँ भगवती उनकी मांगे जरुर पूरी करती है .सापं ,बिच्छू व् अन्य जहरीले जंतु के काटे को  माँ पल में ठीक करती है . सिर्फ मोकामा के ही नहीं वरन दूर दूर  से  लोग सापं बिच्छू काटे को लेकर यंहा आते है और ठीक होकर जाते है .लोगों का विस्वास है की अगर  किसी व्यक्ति को जहरीले जंतु ने काटा हो वो बिना किसी  डॉक्टर बैद्य को दिखाए माँ के दरवार में आ जाये तो वो जरुर ठीक हो जायेगा .जब यंहा के घरो में शादी होती है तो लड़का लड़की यंहा माता का आशीर्वाद लेने जरुर आते है .जब लड़के की शादी होती है तो लड़का माँ का आशीर्वाद लेकर ही शादी करने जाता है .जब लड़की की शादी होती है तो लड़की यंहा मंगरोड़(एक प्रकार की मिठाई जो आता ,मैदा ,गुड ,चीनी आदि से बनाया जाता है ) चढाने जाती है .अगर किसी कारन(पकरुआ,प्रेम विवाह आदि ) शादी मोकामा से न हो तो भी शादी के बाद भी नव दम्पति यंहा जरुर आते है .
जारी है....

Tuesday, June 14, 2011

मोकामा के लाल

मोकामा समूह आज कल शांत है ...कोई टॉपिक नहीं चल रहा ..चलिए हमलोग मोकामा के लाल को ढूंढे जिन्होंने मोकामा का नाम रौशन किया ...साथ साथ ही मोकामा कुछ महापुरुषों की भी कर्म भूमि रही है उनका भी चर्चा हो..चलिए कुछ एक नाम मैं अपनी जानकारी के हिसाब से जोड़ रहा हूँ .बाकि आप लोग सहयोग  करें और इस कड़ी को आगे बढाएं. 
१.श्री अटल बिहारी बाजपयी..जी हाँ सबसे पहला नाम मैंने अटल जी का लिया है .अटल बिहारी जी की जिन्दगी के बहुत नाजुक पल मोकामा मैं ही गुजरे है .लगभग ६-८ महीने का बनवास अटल जी ने मोकामा मैं ही काटा था. इमरजेंसी के पहले का ३-४ महिना बाजपयी जी ने मोकामा मैं ही गुजारा था .देखिये मैं उनकी बुराई नहीं कर रहा हूँ पर लोग बताते है की अटल जी को भांग(एक तरह का नशा ) की लत मोकामा मैं ही लगी थी .अटल जी स्व . राजो दा के घर पर दूध रोटी खाने के भी आदि हो गए थे .अटल जी बेकटेश प्रसाद सिंह उर्फ़ बिनो बाबु के परम मित्र है  उनकी दिनचर्या के बारे मैं और भी रोचक जानकारी हासिल की  जा सकती है मोकामा मैं जाकर ...
२.श्री मोहन दास करम चंद गाँधी - जी हाँ  मैं  बात कर रहा हूँ  प्यारे बापू महात्मा गाँधी जी की ..उन्होंने ने भी मोकामा में आज़ादी के आन्दोलन के समय अपना अमूल्य समय मोकामा में गुजारा था ..लोग बताते है कि जब वो मोकामा आये थे तो .चौकी पर चौकी डालकर पुरे ३० चौकी कि उचाई कि गयी थी तब जाके बापू ने मोकामा कि जनता को संबोधित  किया था ..वो खुद  ही कुआ से पानी खीचते थे और मर-मैदान करते थे .जब तक वो मोकामा में रहे उन्होंने अपना काम खुद ही किया ..
३.प्रफुल्ला चंद्र चाकी-आज़ादी का पहला चंद्रशेखर आज़ाद जिसने अंतिम गोली से खुद को उड़ा लिया .मगर अंग्रेजों कि अधीनता नहीं स्वीकारी .अपने छात्र जीवन से ही चाकी ने चाकी ने अंग्रेजों से बगावत शुरू कर दिया , अपने युवा साथी खुदीराम बोस के साथ मिलकर उन्होंने किंग्स्फोर्ड (जो की कलकत्ता के मजिस्ट्रेट थे) को मारने का विचार किया । अप्रैल ३० १९०८ जब किंग्स्फोर्ड एक बग्ग्घी में जा रहा था तो खुदीराम बोस और प्रफुल्ला चाकी ने उसपर बम से हमला कर दिया , पर दुर्भाग्य से किंग्स्फोर्ड उस बग्ग्घी में सवार नही था और वो वच गया । जब प्रफुल्ला और खुदीराम को ये बात पता चली की किंग्स्फोर्ड बच गया और उसकी जगह गलती से दो महिलाएं मारी गई तो वो दोनों थोरे से निराश हुए वो दोनों ने अलग अलग भागने का विचार किया और भाग गए । खुदीराम बोस तो मुज्जफर पुर में पकरे गए पर प्रफुल्ला चाकी जब रेलगारी से भाग रहे थे तो समस्तीपुर में एक पुलिस वाले को उनपर शक हो गया वो उसने इसकी सूचना आगे दे दी ,  जब इसका अहसाह हुआ तो वो मोकामा रेलवे स्टेशन पर उतर गए पर पुलिस ने पुरे मोकामा स्टेशन को घेर लिया था दोनों और से गोलियां चली पर जब आखिरी गोली बची तो प्रपुल्ला चाकी ने उसे चूमकर ख़ुद को मार लिया और शहीद  हो गए , पुलिस ने उनके शव को अपने कब्जे लेकर उनका सर काटकर कोलकत्ता भेज दिया ,वहां पर प्रफुल्ला चाकी के रूप में उनकी शिनाख्त हुई ।
जारी है..............................
 

Saturday, June 4, 2011

पहेली 5 :-चलिए एक पहेली बूझिये

पहेली 5 :-चलिए एक पहेली बूझिये . क्या आपलोगों ने कोई गीत संगीत सुना है  जिसमे मोकामा का वर्णन हो .कल मेरे एक मित्र ने मेरा मजाक उड़ाया और इस गीत के बारे मैं बताया ....उन्होंने कहा क्या आपका मोकामा यही है जो इस गीत मैं बज रहा है  और हँसने लगे ... पर मैं वो गीत अपने पेन ड्राइव मैं स्टोर कर चूका था .मुझे तो बस वो गीत सुनना था जिसमे मोकामा नाम से कुछ भी हो... और सच मानिये ये उतना बुरा नही है जितना उन्होंने कहा ...चलिए पहले पहेली हल कीजिये फिर मैं आपको यंही पर वो गीत सुनाऊंगा ......
अरे भैया नाराज़ मत होइए  हिंट भी दूंगा ..
हिंट:-१ गाना भोजपुरी भाषा मैं गया गया है .
२. एल्बम टी सीरिज  ने जारी किया था २००८ में

Friday, June 3, 2011

मोकामा विधानसभा १७८

चलिए आज मोकामा के शुरुआत  से लेकर अब तक कौन- कौन  लोग विधायक बने है .......जाने .. मेरा मकसद बिलकुल गैर राजनितिक है .बस आप लोगों की जानकारी के लिए बड़ी मुश्किल से ये डाटा जुगाड़ किया हूँ .अब डाटा अगर मुश्किल से मिला हो तो मैं उसे अपने पास नहीं रख सकता इसलिए आप सब लोगों से शेयर कर रहा हूँ..मोकामा विधानसभा के पहले निर्वाचित विधायक  श्री जगदीश नारायण सिन्हा ....और वर्तमान विधायक श्री अनंत कुमार सिंह है (मोकामा विधानसभा  १७८ )
१९५१-श्री जगदीश नारायण सिन्हा(कांग्रेस)
१९५७-श्री जगदीश नारायण सिन्हा(कांग्रेस)
१९६२-श्री सरयू नंदन प्रसाद सिंह (निर्दलीय )
१९६७-श्री बी लाल (आर पी आई )
१९६९-श्री कामेश्वर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
१९७२-श्री मति  कृष्णा शाही  (कांग्रेस)
१९७७-श्री मति  कृष्णा शाही  (कांग्रेस) 
१९८०-श्री श्याम सुन्दर सिंह धीरज (कांग्रेस) 
१९८5-श्री श्याम सुन्दर सिंह धीरज (कांग्रेस) 
१९९०-श्री दिलीप कुमार सिंह (जनता दल) 
१९९5-श्री दिलीप कुमार सिंह (राष्टीय जनता दल)
२०००-श्री सूरजभान सिंह (निर्दलीय )
फरवरी २००५-श्री अनंत कुमार सिंह(जनता दल यूनाइटेड )
अक्तूबर २००५-श्री अनंत कुमार सिंह(जनता दल यूनाइटेड )
२०११-श्री अनंत कुमार सिंह(जनता दल यूनाइटेड )
ये आंकरा है अभी तक के विधानसभा मोकामा के निर्वाचित सदस्यों  का ..अगर कोई त्रुटी हो तो  बताएं .हम आपके आभारी होंगे





Wednesday, May 18, 2011

सफलता का पहला रहस्य आत्मविश्वास

स्वामी विवेकानंद का कथन है- ‘जिस मनुष्य में आत्मविश्वास नहीं है, वह बलवान होकर भी डरपोक है और विद्वान होकर भी मूर्ख है।’ अर्थात् वह व्यक्ति, जो सर्वगुण सम्पन्न और योग्य होता है, किन्तु अगर उसमें आत्मविश्वास न हो, तो सफलता उससे हमेशा दूर ही रहती है। इसी आत्मविश्वास के सहारे मानव आज पाषाण युग से निरन्तर प्रगति की राह पर अग्रसर होते हुए इस समय रॉकेट युग में प्रवेश कर चुका है। तभी तो स्वेट मार्डेन कहते हैं, ‘सारी पढ़ाई, योग्यताएं, अनुभव, आत्मविश्वास के बिना वैसे ही हैं, जैसे डोरी के बिना माला के मोती।’ जिस व्यक्ति को अपने पर विश्वास होता है, वह हर असम्भव से कार्य को अपने परिश्रम और साहस से संभव बना लेता है। ठीक उसी तरह, जिस प्रकार एक कुशल सारथी एक उद्दंड घोड़े को अपने प्रयासें से अपने बस में करने में सफलता अर्जित कर लेता है।

इन सब में विश्वास, उत्साह के साथ एक और बात का होना आवश्यक होता है, और वह है ‘आशा।’ जी हां, हर कार्य को करने के पूर्व मन-मस्तिष्क में ये होना चाहिए कि हम जो कार्य कर रहे हैं या करने जा रहे हैं, उसमें पूर्ण रूप से सफलता मिलना लगभग निश्चित ही है। इस संबंध में मुंशी प्रेमचंद जी ने कहा है, ‘आशा, उत्साह की जननी होती है क्योंकि आशा में तेजी है, शक्ति है, जीवन है और यही आशा तो ससार की संचालक शक्ति होती है।’ यदि आशा नहीं हो, तो फिर उत्साह व विश्वास भी कभी-कभी क्षीण हो जाता  है। सफलता के लिये मनुष्‍य का सर्वप्रथम अपने मन पर पूर्ण रूप से अधिकार होना चाहिए। उसके बाद उसको अपना सम्पूर्ण ध्यान अध्ययन की ओर ही केन्द्रित करके रखना चाहिए, क्योंकि विश्वास मानव मन का सच्चा सेनापति होता है, जो उसकी आत्म क्षमताएं अर्थात् शक्ति को निरन्तर बढ़ाते हुए उत्साह व आशा को बनाये रखता है। जिन व्यक्तियों की इच्छाशक्ति बहुत अधिक दुर्बल अर्थात् आत्मविश्वास क्षीण हो जाता है। वे किसी सरल कार्य में भी सफलता प्राप्त करने में हमेशा वंचित रहते हैं। तभी तो विलियम जेम्स कहते हैं, ‘जीवन से कभी डरो मत और हमेशा विश्वास यही रखो कि यह जीवन जीने योग्य है और तुम्हारा यही विश्वास जीवन में तथ्यों के नये निर्माण में सच्चा सहायक साबित होगा।’

जिस व्यक्ति के पास आत्मविश्वास का अभाव होगा, वह अन्य चीजों पर किस प्रकार विश्वास उत्पन्न कर सकता है और सफलता भी ऐसे अविश्वासी व्यक्तियों से हमेशा दूर रहती है। सफलता के लिए एकाग्रता का होना भी उतना ही आवश्यक है, जितना कि आत्मविश्वास। यही सूत्र हमें सफलता की ओर ले जाता है। अतः आशा, उत्साह और आत्मविश्वास तीनों में अगर समानता है, तब तो सफलता स्वयं कदम चूमती है। अगर परिश्रम पूर्ण लगन और संयम के साथ किया गया हो, तब सफलता मिनलर निश्चित है। हर कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए भी एकाग्रचित होना अत्यधिक आवश्यक है। अन्त में स्वेट मार्डन का यह कथन कि ‘ऊंची से ऊंची चोटी पर पहुंचना हो, तो अपना सफर निचली से निचली सतह से प्रारम्भ करो और अपने काम से जिसका संबंध हो, ऐसी किसी भी बात को व्यर्थ और अनुपयोगी समझकर बेकार न जाने दो, बल्कि उसका पूरी बारीकी के साथ अध्ययन कर ज्ञान प्राप्त करो।’ ये सब तभी सम्भव है, जबकि आपके पास आत्मविश्वास की पूंजी हो।

Thursday, May 12, 2011

मानी नहीं हार

आंधी कभी तूफां कभी ,कभी मझधार
जीत है उसी की जिसने ... मानी नहीं हार

Monday, May 2, 2011

रोते हुए बच्चें को ह्सयाँ जाय

घर से मस्जिद है दूर
चलो यूँ कर लें 
किसी रोते हुए बच्चें को
ह्सयाँ जाय
-: निदां फाजली :-
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